रिया बस चुपचाप से उसके सामने बैठी हुई थी, उसकी आंखों से बहते आंसू अब सूख चुके थे। वहीं दुष्यंत जिसकी आंखें अब रिया के जिस्म पर आ टिकी थी, वह उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहता है, "तो इंतज़ार किस बात का कर रही हो? तुम्हें पता है ना...!"
रिया चुपचाप से उसकी तरफ देखती है और गुस्से में अपनी आँखें दूसरी तरफ घुमा लेती है।

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